आखिर कब तक
हम सब यही सहते रहेंगे
अपनी ही बेटियों को कहते रहेंगे
आखिर कब तक हम चुप चाप रहेंगे
दिल में एक डर सहेंगे
क्या पता कल कुछ हो न जाए हमारे साथ
इसलिए पकड़ कर रखो बेटियों का हाथ
अपनी बेटी नहीं बेटे को समझाओ
रेप से डरो नहीं इसे जड़ से मिटाओ
बेटी के कपडे नहीं
बेटे की नज़र पर ध्यान लगाओ
बुझानी होगी रेप की आग
करनी होगी इनके इरादों की राख
खुद को आज तो जगाना ही होगा
इनके नापाक इरादों को मिटाना ही होगा
आज रेप के बाद लोग निकलते है जुलुस
हम मिलकर निकालेंगे इन दरिंदो का जूस
अब नहीं होगी एक भी जान कुर्बान
अगर यही हो हर हिंदुस्तानी की ज़ुबान
देना होगा इनको मुहतोड़ जवाब
जिससे कभी ये देख भी न पाए ऐसे ख्वाब
कठुआ निर्भया का अब नहीं है ज़माना
अब तो बस इनकी अकल को है ठिकाने लगाना
अगर हर कोई यही ले सोच
तो कोई नहीं पायेगा गलत रास्ते तक पहुंच
©Neha Jain
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