क्या गलती है मेरी
क्यों मैं एक बेचारी हूँ?
कभी मिला नही सम्मान
क्योंकि मैं एक नारी हूँ।।
बचपन से ही समझ लिया था
मुझे तो पराये घर जाना हैं।
चाहे कुछ भी हो जाये
लेकिन साथ निभाने है।।
तुम्हारा यही अब घर संसार
चाहे मिले दुख या प्यार।
तुम्हे सबको अपनाना है
नही सुनना हमे कोई बहाना है।।
आँगन से जो उठी हैं डोली
खुशियाँ खेले आंख मिचौली।
थी मन मे एक छोटी सी आस
बन जाऊं मैं भी अब खास।।
सोचा था के प्यार मिलेगा
खुशियों का संसार मिलेगा।
पर तूने ऐसा वार किया
अंतर्मन को मार दिया।।
रहता था हमेशा इंतज़ार
तेरे शाम को घर आने का।
वचन जो दिया था तूझे
हमेशा साथ निभाने का।।
पर अब तो ड़र लगता हैं
के तू घर जब आएगा।
मुझे परेशान करने को
एक नया तरीका अपनाएगा।।
एक हुई अपने जीवन की डोर
मिली तूझे पैसे की खान।
माँग कर इतना दहेज़
खो लिया तूने अभिमान।।
तू चाहे तो हाथ उठाएं
मार-पीट करके दिखलाए।
लेकिन मुझे तो चुप रहना है
तेरी इज़्ज़त ही मेरा गहना है।।
सारे सपने टूट गए है
नारी के इस संसार मैं।
क्या यह गलती है हमारी
की जन्मे हम ऐसे कारागार मे।।
© नेहा जैन
क्यों मैं एक बेचारी हूँ?
कभी मिला नही सम्मान
क्योंकि मैं एक नारी हूँ।।
बचपन से ही समझ लिया था
मुझे तो पराये घर जाना हैं।
चाहे कुछ भी हो जाये
लेकिन साथ निभाने है।।
तुम्हारा यही अब घर संसार
चाहे मिले दुख या प्यार।
तुम्हे सबको अपनाना है
नही सुनना हमे कोई बहाना है।।
आँगन से जो उठी हैं डोली
खुशियाँ खेले आंख मिचौली।
थी मन मे एक छोटी सी आस
बन जाऊं मैं भी अब खास।।
सोचा था के प्यार मिलेगा
खुशियों का संसार मिलेगा।
पर तूने ऐसा वार किया
अंतर्मन को मार दिया।।
रहता था हमेशा इंतज़ार
तेरे शाम को घर आने का।
वचन जो दिया था तूझे
हमेशा साथ निभाने का।।
पर अब तो ड़र लगता हैं
के तू घर जब आएगा।
मुझे परेशान करने को
एक नया तरीका अपनाएगा।।
एक हुई अपने जीवन की डोर
मिली तूझे पैसे की खान।
माँग कर इतना दहेज़
खो लिया तूने अभिमान।।
तू चाहे तो हाथ उठाएं
मार-पीट करके दिखलाए।
लेकिन मुझे तो चुप रहना है
तेरी इज़्ज़त ही मेरा गहना है।।
सारे सपने टूट गए है
नारी के इस संसार मैं।
क्या यह गलती है हमारी
की जन्मे हम ऐसे कारागार मे।।
© नेहा जैन
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