ऐसे आई ये केरल की बाढ़
ले चली अपने साथ हज़ारों सपने उजाड़।
ऐसा आया ये मॉनसून की मौसम
लोगो के दिल हो गए हमेशा के लिए नम।
आया जो लहरो का कहर
बेघर हो गए लोग शहर दर शहर।
बंद हो गए सारे रास्ते
कोई तो आओ ज़रा इनके भी वास्ते।
उजड़ गए लोगो के परिवार
पेट भरने के लिए नही बचा कारोबार।।
जवान कर रहे बचाव
इससे हो रहा बहुत प्रभाव।
छोटे छोटे बच्चे कर रहे दान
करके अपने सपनो को कुर्बान।
नेता दे रहे अपनी सैलरी
जिससे मिल सके फसे हुए लोगो को कैलोरी।।
आओ केरल को दिलाए विश्वास
नही टूटने देंगे लोगो को आस।
हम भी उनकी मदद करेंगे
हर कदम उनको साथ लेकर ही बढ़ेंगे।
नही है वो इस दुख मैं अकेले
फिर वो इस गम को क्यों अकेले ही झेले।।
©Neha Jain
No comments:
Post a Comment