दुनिया का दस्तूर बन गया है
हर घर का फितूर बन गया है
सोच सोच कर इंसान मजबूर हो गया है
की लोग क्या कहेंगे
उम्र सारी निकाल दी
हँसी हमेशा टाल दी
सोच कर यही की लोग क्या कहेंगे
गिरे हुए को कभी सहारा न मिला
कश्ती को मेरी वो किनारा न मिला
सोचा बस यही की उठ खड़ा हुआ तो लोग क्या कहेंगे
सपने जो देखे बंद आंखों से
आंख खोल कभी हिम्मत न हुई पूरा करने की
सोच कर यही के पूरे न हुए तो लोग क्या कहेंगे
दम मेरा घुटता रहा
रो रो कर मैं सहता ही रहा
सोच कर यही की बता दिया तो लोग क्या कहेंगे
छोड़ दिया है जीवन जीना
रह गया है तो बस गम को पीना
सोच कर यही के लोग क्या कहेंगे
क्या वाकई है कोई दैनिक
जिसके पास है कोई ऐसा टॉनिक
पी कर जिसको भुला दे सब ये टेंशन
की लोग क्या कहेंगे
©Neha Jain
हर घर का फितूर बन गया है
सोच सोच कर इंसान मजबूर हो गया है
की लोग क्या कहेंगे
उम्र सारी निकाल दी
हँसी हमेशा टाल दी
सोच कर यही की लोग क्या कहेंगे
गिरे हुए को कभी सहारा न मिला
कश्ती को मेरी वो किनारा न मिला
सोचा बस यही की उठ खड़ा हुआ तो लोग क्या कहेंगे
सपने जो देखे बंद आंखों से
आंख खोल कभी हिम्मत न हुई पूरा करने की
सोच कर यही के पूरे न हुए तो लोग क्या कहेंगे
दम मेरा घुटता रहा
रो रो कर मैं सहता ही रहा
सोच कर यही की बता दिया तो लोग क्या कहेंगे
छोड़ दिया है जीवन जीना
रह गया है तो बस गम को पीना
सोच कर यही के लोग क्या कहेंगे
क्या वाकई है कोई दैनिक
जिसके पास है कोई ऐसा टॉनिक
पी कर जिसको भुला दे सब ये टेंशन
की लोग क्या कहेंगे
©Neha Jain
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