Wednesday, 28 August 2019

Tuesday, 13 August 2019

Life

Topic suggested by Howie Joe Twenty First Century Poet

Friday, 9 August 2019

Saturday, 3 August 2019

तीन तलाक- एक नारी की व्यथा

डर डर के जीना सीख लिया था
मान लिया था मन ने अब
यही है इस जीवन का मूल
कभी भी शोहर जाएगा भूल
तीन तलाक के ये तीन शब्द
देते है ज़िन्दगी को रब्ध

खत्म हुआ अब तीन तलाक
नही होंगे अब सपने राख
जीने की अब होगी चाह
मिली है महिलाओं को नई राह
नही होगा अब भेदबहाव
शादी का न होगा यहाँ मोलभाव

खुल कर अब जीएगी नारी
नर नही पड़ सकेगा भारी
अब तो होगा बराबर का फैसला
तीन तलाक अलविदा कह चला

© नेहा जैन

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