जिस दिन मेरा ग्रहप्रवेश हुआ
तेरे मन में भ्रम प्रवेश हुआ
सोच लिया तूने की अब
बट जाएगा सबका प्यार
क्योंकि तूने तो था माना
बस खुद को ही हक़दार
मान लिया तूने मुझे दुश्मन
क्योंकि मुझे भी अब प्यार मिला
पर जिसकी मैं हक़दार थी
तूझसे कभी न वो व्यवहार मिला
क्यों तूने अपनी ऐसी सोच बनाई
क्यों तूने इतनी दूरिया थी बढ़ाई
समझ नही कोई भी पाया
यह भ्रम क्यों था आया
क्या तूझे प्यार देना ही गलती थी
क्योंकि तूझमे न सहनशक्ति थी
पर इसमें उसका क्या कसूर था
जिसका यहा नया नया दस्तूर था
फ़र्ज़ तो रिश्तो में सबका ही होता है
छोटा-छोटा और बड़ा-बड़ा होता है
फिर क्यों तूने अपना फर्ज भुला दिया
इतने लोगो के प्यार का क्या यही सिला दिया
अब नही रही कोई बातचीत की उम्मीद
तू ऐसा चाँद है जिसकी नही कभी आएगी ईद
© नेहा जैन
Poet’s Pond
Copyright © by Neha Jain All rights reserved. The poetries or any portion thereof may not be reproduced or used in any manner whatsoever without the express written permission of the author.
Friday, 17 April 2020
Wednesday, 8 April 2020
Tuesday, 18 February 2020
Poet’s Pond Volume-II
Here we present before you Volume-ii of Poet's Pond, a nature based anthology. It's a collection of poems by the poet's from all over the world..
The book tries to explore the beauty of nature in its own way.Each of the poet here, tries to convey a unique message to the readers, taking into consideration a different aspect of its beauty. Let each poem touch your heart and speak out loud the today's need to stand together and conserve this natural beauty.
You can also buy volume-I from Amazon, Flipkart or Notion press website.
So what are you waiting for!! Grab your copy today!!
Grab your copy here!!
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Tuesday, 24 December 2019
Poet's Pond Volume-2
Submit your self written poems at poetspond93@gmail.com and get them published and promoted.
Language - Hindi/English
Theme- Nature
Number of Poems - Max - 5 Poems
(Max 2 will be selected)
Bio should be in 50 words or less.
You can also inbox your queries here or put in comment section.
What are you waiting for!!Why be the last when you do it today!! Come let's enjoy this beautiful journey together!!
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Saturday, 14 December 2019
Monday, 2 December 2019
क्या गलती है मेरी?
क्या गलती है मेरी
क्यों मैं एक बेचारी हूँ?
कभी मिला नही सम्मान
क्योंकि मैं एक नारी हूँ।।
बचपन से ही समझ लिया था
मुझे तो पराये घर जाना हैं।
चाहे कुछ भी हो जाये
लेकिन साथ निभाने है।।
तुम्हारा यही अब घर संसार
चाहे मिले दुख या प्यार।
तुम्हे सबको अपनाना है
नही सुनना हमे कोई बहाना है।।
आँगन से जो उठी हैं डोली
खुशियाँ खेले आंख मिचौली।
थी मन मे एक छोटी सी आस
बन जाऊं मैं भी अब खास।।
सोचा था के प्यार मिलेगा
खुशियों का संसार मिलेगा।
पर तूने ऐसा वार किया
अंतर्मन को मार दिया।।
रहता था हमेशा इंतज़ार
तेरे शाम को घर आने का।
वचन जो दिया था तूझे
हमेशा साथ निभाने का।।
पर अब तो ड़र लगता हैं
के तू घर जब आएगा।
मुझे परेशान करने को
एक नया तरीका अपनाएगा।।
एक हुई अपने जीवन की डोर
मिली तूझे पैसे की खान।
माँग कर इतना दहेज़
खो लिया तूने अभिमान।।
तू चाहे तो हाथ उठाएं
मार-पीट करके दिखलाए।
लेकिन मुझे तो चुप रहना है
तेरी इज़्ज़त ही मेरा गहना है।।
सारे सपने टूट गए है
नारी के इस संसार मैं।
क्या यह गलती है हमारी
की जन्मे हम ऐसे कारागार मे।।
© नेहा जैन
क्यों मैं एक बेचारी हूँ?
कभी मिला नही सम्मान
क्योंकि मैं एक नारी हूँ।।
बचपन से ही समझ लिया था
मुझे तो पराये घर जाना हैं।
चाहे कुछ भी हो जाये
लेकिन साथ निभाने है।।
तुम्हारा यही अब घर संसार
चाहे मिले दुख या प्यार।
तुम्हे सबको अपनाना है
नही सुनना हमे कोई बहाना है।।
आँगन से जो उठी हैं डोली
खुशियाँ खेले आंख मिचौली।
थी मन मे एक छोटी सी आस
बन जाऊं मैं भी अब खास।।
सोचा था के प्यार मिलेगा
खुशियों का संसार मिलेगा।
पर तूने ऐसा वार किया
अंतर्मन को मार दिया।।
रहता था हमेशा इंतज़ार
तेरे शाम को घर आने का।
वचन जो दिया था तूझे
हमेशा साथ निभाने का।।
पर अब तो ड़र लगता हैं
के तू घर जब आएगा।
मुझे परेशान करने को
एक नया तरीका अपनाएगा।।
एक हुई अपने जीवन की डोर
मिली तूझे पैसे की खान।
माँग कर इतना दहेज़
खो लिया तूने अभिमान।।
तू चाहे तो हाथ उठाएं
मार-पीट करके दिखलाए।
लेकिन मुझे तो चुप रहना है
तेरी इज़्ज़त ही मेरा गहना है।।
सारे सपने टूट गए है
नारी के इस संसार मैं।
क्या यह गलती है हमारी
की जन्मे हम ऐसे कारागार मे।।
© नेहा जैन
Sunday, 24 November 2019
I am me
I may not be your choice
But its a matter of rejoice
I am glad to be the one
You consider as an option
I am me
This is what i wanted to be
I may not be like you
Because i want to stand out from the queue
I might not be the that beautiful
But what i say is all meaningful
I am me
This is what i wanted to be
You might not like my word
But whatever i felt is confessed
For i always say what i feel
Nothing is left to lock and seal
I am me
This is what i wanted to be
© Neha Jain
But its a matter of rejoice
I am glad to be the one
You consider as an option
I am me
This is what i wanted to be
I may not be like you
Because i want to stand out from the queue
I might not be the that beautiful
But what i say is all meaningful
I am me
This is what i wanted to be
You might not like my word
But whatever i felt is confessed
For i always say what i feel
Nothing is left to lock and seal
I am me
This is what i wanted to be
© Neha Jain
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